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शुक्रवार, 18 जुलाई 2014

हकीम मोमिन खां मोमिन-2/ ज़ैदी ज़ुहैर अहमद*

Copyright : ज़ैदी ज़ुहैर अहमद*
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यहां मोमिन दफन हैं
मोमिन १३१५ हिजरी, यानी सन १८०० में दिल्ली स्थित कूचा--चेलान मोहल्ले में पैदा हुए थे. मोमिन का खानदान बादशाह शाह आलम के शासनकाल में कश्मीर से दिल्ली आया था. दादा हकीम नामदार खां अपने भाई हकीम कामदार खां के साथ  दिल्ली में आकर शाही तबीबों (हकीमों) में शामिल हो गए. दोनों भाइयों की क़ाबलियत और हिकमत की सलाहियतों से खुश होकर बादशाह ने उन्हें परगना नारनोल के मौज़ा बिलहा में जागीर आता कर  दी. कालांतर में जब ईस्ट इण्डिया कंपनी ने नवाब फैज़ तलब खां को झज्झर की रियासत सौंपी तो परगना नारनोल को इसी रियासत में शामिल कर लिया गया. नवाब ने हकीम नामदार के खानदान के साथ नाइंसाफी नहीं की बल्कि हज़ार रूपये की पेंशन बांध दी जो आगे जाकर हकीम मोमिन खां तक को मिलती रही. खुद ईस्ट इण्डिया कंपनीभी मोमिन के परिवार के हकीमों को १००/- प्रति माह पेंशन देती थी. इसमें से एक चौथाई मोमिन के वालिद को मिलता था और बाद में कुछ मोमिन को भी मिलता रहा था. मोमिन का घरेलू नाम हबीबुल्लाह था. लेकिन हज़रत शाह अब्दुल अज़ीज़ कुद्सरह एक ऐसे सूफी बुज़ुर्ग थे जिनके हुजरे में मोमिन के वालिद हकीम गुलाम नबी खां भी हाजरी देते थे, तो बेटे की विलादत प़र हज़रत शाह की दुआओं से उसे कैसे वंचित रखा जा सकता था. फकीर ने बच्चे के कान में अजान दी और नाम रखा मोमिन. घरवालों को बुरा लगा, प़र मोमिन, मोमिन खां हो गए. कुछ का कहना है कि यह फकीर की ही दुआओं की बरकत थी कि मोमिन उर्दू-अदब में एक बलंद शायर बनकर शोहरत की बुलंदियों तक जा पहुंचे...... 
      
मोमिन की बुनियादी तालीम मूलत: घर प़र ही हुई. औपचारिक रूप से उस्ताद शाह अब्दुल कादिर उनके पहले गुरू  बने. मोमिन ने उनसे जो कुछ पढ़ा, वह उनकी जिंदगी का हिस्सा बन गया. इल्म--रोज़गार की ग़रज़ से अपने दोनों चचाओं यानी हकीम गुलाम हैदर खां और हकीम गुलाम हुसैन खां से इल्मे-तिब की ट्रेनिंग ली और अपने खानदानी दवाखाने में बैठ गए लेकिन मन था कि उड़ा जाता था, कल्पनाओं में, अदब के असमानों में...मैंने इस नब्ज़ पे जो हाथ धरा, हाथ से मेरे मेरा दिल ही चला....और कुछ यूँ कि  आफ़ते ताजः जो जाँ प़र आई, ये ग़ज़ल अपनी ज़बां प़र आई. यह शेर जिस ग़ज़ल का है, उर्दू  अदब  के नक्काद यानी आलोचकों का मानना है कि इस ग़ज़ल को लेकर उर्दू अदब मोमिन का अहसानमंद है. /Cont...3

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