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सोमवार, 31 मार्च 2025

डॉक्टर ज़ैदी ज़ुहैर अहमद यानि रंजन ज़ैदी के कुछ अशआर

डॉक्टर ज़ैदी ज़ुहैर अहमद यानि रंजन ज़ैदी के कुछ अशआर ***** https://alpst-politics.blogspot.com/2025/03/blog-post.html ऐ दोस्त पूछते हो के क्या हाल-चाल है क्या-क्या गिनाऊँ अपने गुनाहों की ग़लतियाँ वो कहते हैं भूल गया हूँ चेहरा भी तो याद नहीं, साल महीनों बाद मिले हैं शिकवे छोडो बात करो इस मक़्तल में दम घुटता है सांसें भी ज़हरीली हैं ज़िंदा रहना भी मुश्किल है, तुम कहते हो सब्र करो जब घड़ा टूटा तो हम पानी हुए और बह गए अहले-खाना तू बता, हम सब जुदा कैसे हुए ज़बां को चुप करा दूँ तो तुम्हें कैसे खबर होगी के मुझमें दुःख, गिला, ग़ुस्सा, कहीं तक बेबसी भी है ऐ दरवेश निकल जा अब तो यह जंगल भी सूख गय क़द्रें भ सब बदल गईं हैं तेरी हिकायत अल्ला--हू तुम आईनों में सफ़ीने समेट सकते हो मिरी नज़र तो समंदर पे आंख रखती है पिछली नस्लों ने जो बोया अब तक हैं उसके असरात अब भी खेत में सर उगते हैं, किस-किसको समझाऊँ मैं Mob;+91 9354597215