कथित निजी सेनाओं का शिकार रही फिल्म 'पद्मावत' |
मोम के जिस्म निकल आये हैं तलवार लिए,
धूप के शह्र भी अब ख़ौफ़ज़दा लगते हैं.
डॉ. ज़ैदी ज़ुहैर अहमद
देश बेहद नाज़ुक दौर से गुज़र रहा है. कमज़ोर और अनुभव विहीन प्रतिपक्ष का नेतृत्व, अत्यंत कमज़ोर देश की फॉरेन-पॉलिसीज़, दुश्मनों से घिरता जा रहा भारत, लोकतंत्र खतरे में है.
देखो तो यक़ीनन पसे-दीवर कोई है,
घटिया राजनीति ने भारत को विदेशों में भी शर्मिंदा किया. |
आईनाः बताता है कि ज़ंगार कोई है.
डॉ. ज़ैदी ज़ुहैर अहमद
अजब ज़ुल्मतों से घिरा चाँद निश्तर,
बहुत सोच कर मैं ग़ज़ल कह रहा हूँ.
तुम उसकी सियासत से अभी भी नहीं वाक़िफ़,
फ़ित्नों को जिलाता है वो हुशियार कोई है.
डॉ. ज़ैदी ज़ुहैर अहमद
भारतीय सियासत में सियासी दलों का विपक्ष लगभग समाप्त होने की कगार पर है. कारण है विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के निजी स्वार्थ और अवसरवादी गठजोड़ों का बेनक़ाब हो जाना. बेरोज़गार युवाओं का लगातार बढ़ना, युवाओं का अपने स्वार्थों के लिए इस्तेमाल करते रहना, अपराधों का बढ़ना, साम्प्रदायिकता फैलाकर सत्ता हासिल करना, साहित्य, इतिहास और संस्कृतियों का ह्रास करना, प्रशासन का दुरूपयोग करना, भ्रष्टाचार व
क्या राजनीतिक सिनेरिओ बदलने वाला है?
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