शुक्रवार, 19 सितंबर 2014

दुनिया भी तो बदल ​गई है/ज़ैदी ज़ुहैर अहमद*


कितनी दुनिया बदल गई है

ज़ैदी ज़ुहैर अहमद*(Ranjan zaidi)




दुनिया   भी तो  बदलगई  है।
बेटी    चलना    सीख   गई  है।

कच्चे   रस्ते    अपने   कब  थे,​
बारिश       पूछती ​    रहती ​है। 
   
ईजादों    ने       चाँद     निचोड़ा,
बुढ़िया      उसमें       रहती    है।
चांदनी   रात से छागल  भर  ले,

आँख में कबसे नींद भरी है         घर    में   क़ब्रें     ही    क़ब्रें   थीं,

रूह  सभी ग़म  झेल  चुकी   है। 
खुद   को   ढूँढूँ   जाने   कब   से,
मुझको  दुनिया   ढूंढ   रही है
Copyright-ज़ैदी ज़ुहैर अहमद*----------------------------------------------------------------------------
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